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GS Paper 1 – Population and Society से संबंधित यह मुद्दा UPSC के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इमरजेंसी को 50 साल हो चुके हैं और इस दौरान जो मानवाधिकार उल्लंघन हुए, उनमें सबसे गंभीर था फोर्स स्टेरलाइजेशन (जबरन नसबंदी)।
हालांकि, सबसे ज्यादा फोकस फैमिली प्लानिंग यानी फोर्स्ड स्टेरलाइजेशन पर था।
माल्थूस ने कहा था कि जनसंख्या तेजी से बढ़ती है लेकिन संसाधन नहीं। इससे गरीबी और अपराध बढ़ता है। इसी सोच के आधार पर संजय गांधी ने जबरन नसबंदी करवाई।
यह एक सर्जिकल प्रोसीजर है जिसमें व्यक्ति की रिप्रोडक्टिव क्षमता स्थायी रूप से समाप्त कर दी जाती है। आमतौर पर यह स्वैच्छिक होता है लेकिन इमरजेंसी में इसे जबरदस्ती और राज्य प्रायोजित रूप में लागू किया गया।
स्थानीय अधिकारियों को टारगेट दिए जाते थे – जैसे एक हफ्ते में 50 नसबंदी। जिनके द्वारा लक्ष्य पूरा किया जाता उन्हें इनाम, प्रमोशन, और सम्मान दिया जाता।
नसबंदी कराने वालों को चावल, पैसा और नौकरी का वादा भी किया जाता था।
लोग गांव छोड़कर जंगलों में भागते थे।
1977 के चुनाव में कांग्रेस की ऐतिहासिक हार हुई। विपक्ष ने "क्या मिला सरकार को इमरजेंसी लगाकर और नसबंदी कराके" जैसे नारों से माहौल बनाया।
आज भी जब 'फैमिली प्लानिंग' या 'नसबंदी' की बात होती है, तो लोगों के मन में डर बैठा होता है।
“एक जिम्मेदार सरकार वही है जो अपनी शक्ति का प्रयोग संवैधानिक मर्यादा में रहकर करे।”
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