🌾 GDP क्या होती है और क्यों ज़रूरी है?
GDP यानी Gross Domestic Product — इसका मतलब होता है एक तय समय (जैसे 1 साल) में देश के भीतर जितने भी गुड्स और सर्विसेज़ का उत्पादन हुआ, उसकी कुल वैल्यू।
उदाहरण: मान लीजिए भारत में एक साल में ₹100 करोड़ के गेहूं, ₹200 करोड़ की मोबाइल सर्विस और ₹500 करोड़ की गाड़ियों का निर्माण हुआ — तो कुल GDP = ₹800 करोड़।
📈 यूपीए (2004-2014): ग्रोथ की कहानी
- 2004 में GDP: ₹59 लाख करोड़ (यानि $709 अरब)
- 2014 में GDP: ₹1.70 करोड़ करोड़ ($2.04 ट्रिलियन)
- कुल बढ़त: 2.8 गुना
- एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट: औसतन 3.5% प्रति वर्ष
🧭 एनडीए (2014-2025): स्थिर लेकिन धीमा ग्रोथ
- 2014 में GDP: ₹1.70 करोड़ करोड़
- 2025 में अनुमानित GDP: ₹3.47 करोड़ करोड़ ($4.19 ट्रिलियन)
- कुल बढ़त: लगभग 2 गुना
- एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट: औसतन 4% (दो सूखे के बावजूद)
💸 परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) से GDP का नया चेहरा
- 2004: ₹2.30 करोड़ करोड़ ($2.75 ट्रिलियन)
- 2014: ₹5.40 करोड़ करोड़ ($6.45 ट्रिलियन)
- 2025: ₹14.80 करोड़ करोड़ ($17.65 ट्रिलियन)
- PPP के अनुसार: भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
🧍♂️ Per Capita Income: आम आदमी की आय में बदलाव
- 2004: ₹2 लाख/वर्ष (PPP में $2424)
- 2014: ₹7.6 लाख/वर्ष ($9350)
- 2025: ₹9.9 लाख/वर्ष ($12,131 अनुमानित)
- G20 में सबसे कम पर कैपिटा इनकम: भारत
⚖️ क्या ग्रोथ सभी को मिला? (गिनी कोफिशिएंट से जांच)
- 2004: 0.334
- 2014: 0.335
- 2021: 0.333
- निष्कर्ष: अब भी इनकम इनइक्वालिटी बनी हुई है
🌾 एग्रीकल्चर का रोल और सब्सिडी का प्रभाव
भारत में आज भी लगभग 46% लोग कृषि से जुड़े हैं। इसलिए एग्रीकल्चर का परफॉर्म करना इंक्लूसिव ग्रोथ के लिए ज़रूरी है।
🥣 फूड सब्सिडी स्कीम: ताकत या कमजोरी?
- 2026 बजट में ₹2.03 लाख करोड़ का खर्च
- इनएलिजिबल लाभार्थी भी फ्री अनाज पा रहे हैं
- केवल गेहूं और चावल = डायटरी डायवर्सिटी नहीं
- हिडन हंगर और कुपोषण की समस्या बनी
सुझाव:
- डिजिटल फूड कूपन दें — गरीबों को ₹700/माह
- अल्प गरीबों को ₹500/माह
- दालें, दूध, फल, सब्जियां ले सकेंगे
- फसलों का डायवर्सिफिकेशन होगा
🌿 फर्टिलाइज़र सब्सिडी: यूरिया पर निर्भरता और बिगड़ता संतुलन
- 2026 बजट में ₹1.56 लाख करोड़ की सब्सिडी
- सबसे ज्यादा सब्सिडी यूरिया पर
- NPK अनुपात गड़बड़ (4:2:1 से बिगड़कर ज्यादा N)
- ओवरयूज़ से मिट्टी खराब, जल प्रदूषण, स्मगलिंग
सुझाव:
- यूरिया के दाम डीरेगुलेट करें
- किसानों को फर्टिलाइज़र कूपन दें
- किसान ऑर्गेनिक विकल्प चुन सकें
- लीकेज घटेगा, पर्यावरण को लाभ मिलेगा
🚧 सुधारों में बाधाएं: चुनौतियां क्या हैं?
- टेनेंट फार्मर्स की पहचान करना मुश्किल
- भूमि रिकॉर्ड अधूरे
- डेटा में मेल नहीं (आधार, भूमि, इनकम)
- कम्युनिकेशन गैप से किसान विरोधी हो सकते हैं
🏁 निष्कर्ष: लॉन्ग टर्म रिफॉर्म्स ही समाधान हैं
अगर भारत को एफिशिएंट, सस्टेनेबल और इंक्लूसिव ग्रोथ चाहिए तो सरकार को चाहिए:
- फूड और फर्टिलाइज़र सब्सिडी में डिजिटल कूपन व्यवस्था
- रील टारगेटिंग, लीकेज कंट्रोल
- सशक्त पॉलिटिकल विल और संवाद
- लॉन्ग टर्म में यह सुधार गरीबों और किसानों दोनों को लाभ देंगे
याद रखें: सब्सिडी का मतलब मुफ्त नहीं, बल्कि सही व्यक्ति तक सही मदद पहुंचाना है।
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