🌸 टेक्नोलॉजी के माध्यम से महिला और बाल सशक्तिकरण: समावेशी भारत की ओर एक प्रगतिशील यात्रा 🌸

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कुछ साल पहले तक भारत दुनिया में जनसंख्या के मामले में दूसरे स्थान पर था और चीन पहले स्थान पर था। लेकिन अब भारत सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है।
जब भारत और चीन आजाद हुए थे, तब भारत की आबादी थी 35 करोड़ (350 मिलियन) और चीन की थी 55 करोड़ (550 मिलियन)।
1949 से 1980 के बीच चीन ने महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण पर बड़ा निवेश किया। नतीजा – आज चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
भारत ने विशेषकर हिंदी भाषी राज्यों (बिहार, यूपी, झारखंड) में इन मुद्दों को नजरअंदाज किया, जिसका खामियाजा आज भी देश भुगत रहा है।
1980 से 2040 तक भारत में काम करने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक रही – इसे डेमोग्राफिक डिविडेंड कहते हैं।
लेकिन सरकार इस अवसर का पूरा लाभ नहीं उठा पाई। युवाओं को न स्किल मिला, न रोजगार। इसके कारण युवा अपराध की ओर बढ़े और अर्थव्यवस्था को लाभ की बजाय हानि हुई।
बिहार में 42.5% लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है। भारत का औसत 26.8% है।
ये आंकड़े “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसी योजनाओं की असल सच्चाई दिखाते हैं।
निष्कर्ष: जनसंख्या भारत के लिए एक अवसर हो सकता था लेकिन सही पॉलिसी के अभाव में यह अब एक संकट बनती जा रही है। आने वाले 10–15 वर्षों में जरूरी है कि हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर बड़ा कदम उठाएं।
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