भारत का जल संकट
🇮🇳 भारत का जल संकट: नीतियाँ, समस्याएँ और समाधान
✍️ UPSC GS Paper 2 – Government Policies and Interventions for Development in Various Sectors & Issues arising out of their design and implementation
💧 भारत और जल संकट: एक गंभीर होती राष्ट्रीय आपदा
आज का भारत एक गहरे जल संकट (Water Crisis) से गुजर रहा है, लेकिन इसे जिस स्तर की प्राथमिकता मिलनी चाहिए, वह अब तक नहीं मिली है। पानी की कमी का असर केवल पीने तक सीमित नहीं है — यह सीधे खाद्य सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और जन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
🌾 फूड सिक्योरिटी और इकॉनॉमिक स्थिरता पर असर
- खेती पानी पर निर्भर है — और जल संकट का सबसे पहला असर फसलों पर पड़ता है, खासकर धान और गन्ना जैसे जल-प्रधान फसलों पर।
- जहां पानी की कमी होगी, वहां उद्योग नहीं लगेंगे, और न ही निवेश आएगा।
- नीति आयोग और इकोनॉमिक सर्वे 2018-19 के अनुसार वर्षा में 100 मिमी की कमी से किसानों की आमदनी खरीफ में 15% और रबी में 7% तक घट सकती है।
🏥 पब्लिक हेल्थ और जल प्रदूषण
- 70% जल स्रोत प्रदूषित हैं।
- हर साल 2 लाख से अधिक लोग जल जनित रोगों से मरते हैं।
- फ्लोराइड और आर्सेनिक के कारण 19 राज्यों में लगभग 23 करोड़ लोग प्रभावित हैं।
🌍 क्लाइमेट चेंज और जल संकट
- मानसून अनियमित हो गया है — कभी जल्दी, कभी देर से आता है।
- 33% भारतीय भूमि क्षेत्र सूखा-प्रवण है।
- ग्लेशियरों का पिघलना जल स्रोतों को अल्पकाल में तो भर देता है, पर दीर्घकाल में नदियाँ सूखने का खतरा है।
- वर्ल्ड बैंक के अनुसार 2050 तक जल संकट से भारत की GDP में 12% तक की गिरावट आ सकती है।
📊 चौंकाने वाले आँकड़े
- भारत के पास दुनिया की 18% जनसंख्या है, पर सिर्फ 4% फ्रेश वॉटर रिसोर्सेज हैं।
- 60 करोड़ भारतीय उच्च से अत्यधिक जल संकट का सामना कर रहे हैं।
- 2030 तक पानी की माँग उपलब्धता से दोगुनी हो जाएगी।
- भारत 13वें स्थान पर है सबसे अधिक जल संकटग्रस्त देशों में।
🚱 गिरता ग्राउंड वाटर लेवल
- 60% सिंचित कृषि और 85% पीने का पानी ग्राउंड वाटर पर आधारित है।
- पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी में धान की खेती का सरकारी MSP नीतियों के कारण विस्तार हो रहा है।
🏙️ शहरी जल संकट: बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली
2019 में चेन्नई में जल संकट ने लाखों लोगों को प्रभावित किया। नीति आयोग के अनुसार 2030 तक 21 शहरों का ग्राउंडवॉटर समाप्त हो सकता है, जिससे 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे।
📉 नीति डिज़ाइन की खामियाँ
- MSP आधारित नीतियाँ जल-गहन फसलों को बढ़ावा देती हैं।
- वॉटर अकाउंटिंग कमजोर है — यह स्पष्ट नहीं है कि कितना पानी कहाँ जा रहा है।
✅ सरकार की योजनाएँ और पहल
- अटल भूजल योजना – वर्ल्ड बैंक समर्थित, 7 राज्यों की 8000 ग्राम पंचायतों में लागू।
- नेशनल वाटर मिशन – 2025 तक जल उपयोग दक्षता को 20% तक बढ़ाने का लक्ष्य।
- जल शक्ति अभियान – सामुदायिक जल संरक्षण और जागरूकता पर केंद्रित।
- वन हेल्थ एप्रोच – मानव, पशु और पर्यावरण को साथ जोड़कर स्वास्थ्य नीति बनाना।
💰 वित्तीय संकट और निवेश की आवश्यकता
- 2030 तक ₹6.7 ट्रिलियन की फंडिंग की आवश्यकता है।
- सरकार अकेले यह नहीं कर सकती — प्राइवेट इन्वेस्टमेंट ज़रूरी है।
- वर्ल्ड बैंक का $1 बिलियन डैम पुनर्वास प्रोजेक्ट।
- ADB का ₹500 करोड़ लोन मेघालय के लिए।
🌱 समाधान: माइक्रो इरीगेशन और सोलर पंप्स
- ड्रिप और स्प्रिंकलर इरीगेशन से 50% पानी की बचत संभव।
- फिर भी केवल 9% कृषि भूमि पर इनका प्रयोग हो रहा है।
- सोलर इरीगेशन से ग्राउंडवॉटर का अंधाधुंध उपयोग रोका जा सकता है और कार्बन उत्सर्जन भी घटेगा।
🧑🤝🧑 जन भागीदारी: सबसे जरूरी पहलू
सरकार चाहे जितनी भी योजनाएं बना ले, जब तक लोगों की जागरूकता और भागीदारी नहीं बढ़ेगी, तब तक पानी नहीं बचेगा।
अटल भूजल योजना और जल शक्ति अभियान जैसी योजनाओं को स्थानीय स्तर पर मजबूती से लागू करना आवश्यक है।
🔗 नीति समन्वय की आवश्यकता
जल नीति, ऊर्जा नीति और जलवायु नीति को अलग-अलग नहीं, एकीकृत दृष्टिकोण से बनाना होगा। तभी हम संतुलित और टिकाऊ जल भविष्य की ओर बढ़ सकेंगे।
✅ निष्कर्ष
भारत का जल संकट अब केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि आर्थिक, कृषि और स्वास्थ्य संकट बन चुका है। इसका समाधान तभी संभव है जब सरकार, समाज और तकनीक एक साथ आएं।
पानी बचाना है तो नीति भी बदलनी होगी, सोच भी और व्यवहार भी।
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