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विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई भारत की प्रगति में चॉइस, नियंत्रण और पूंजी की भूमिका

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भारत की प्रगति में चॉइस, नियंत्रण और पूंजी की भूमिका ✒️ विश्व जनसंख्या दिवस विशेष लेख 📌 प्रस्तावना आज जब हम विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) मना रहे हैं, तो यह सोचने का समय है कि 8 अरब से अधिक की वैश्विक जनसंख्या के बीच भारत जैसे युवा देश को कैसे सही दिशा दी जाए? इस वर्ष की थीम है: "युवाओं को सशक्त बनाएं ताकि वे अपनी पसंद के परिवार बना सकें – एक न्यायपूर्ण और आशावान विश्व में।" इसका सीधा संबंध है: स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता से महिला सशक्तिकरण से जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) से 1994: जनसंख्या और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 1994 में हुए जनसंख्या और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICPD) में यह तय किया गया था कि: हर व्यक्ति को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े फैसले खुद लेने का अधिकार होना चाहिए कोई सामाजिक दबाव, हिंसा या भेदभाव नहीं होना चाहिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं समय पर मिलनी चाहिए इस सम्मेलन ने बॉडीली ऑटोनोमी और सूचित निर्णय की नींव रखी।...

नसबंदी :इमरजेंसी का काला अध्याय

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फोर्स्ड स्टेरलाइजेशन: इमरजेंसी का काला अध्याय GS Paper 1 – Population and Society से संबंधित यह मुद्दा UPSC के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इमरजेंसी को 50 साल हो चुके हैं और इस दौरान जो मानवाधिकार उल्लंघन हुए, उनमें सबसे गंभीर था फोर्स स्टेरलाइजेशन (जबरन नसबंदी) । संजय गांधी का फाइव-पॉइंट प्रोग्राम फैमिली प्लानिंग – जनसंख्या नियंत्रण को सर्वोच्च प्राथमिकता। लिटरेसी – "One Teach One" का नारा। दहेज प्रथा विरोध जातिवाद उन्मूलन ट्री प्लांटेशन – पर्यावरण सुरक्षा हेतु। हालांकि, सबसे ज्यादा फोकस फैमिली प्लानिंग यानी फोर्स्ड स्टेरलाइजेशन पर था। माल्थूस का सिद्धांत और सरकार की सोच माल्थूस ने कहा था कि जनसंख्या तेजी से बढ़ती है लेकिन संसाधन नहीं। इससे गरीबी और अपराध बढ़ता है। इसी सोच के आधार पर संजय गांधी ने जबरन नसबंदी करवाई। स्टेरलाइजेशन क्या होता है? यह एक सर्जिकल प्रोसीजर है जिसमें व्यक्ति की रिप्रोडक्टिव क्षमता स्थायी रूप से समाप्त कर दी जाती है। आमतौर पर यह स्वैच्छिक होता है लेकिन इमरजेंसी में इसे जबरदस्ती और राज्य प्रायोजित रूप में ...

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