🌸 टेक्नोलॉजी के माध्यम से महिला और बाल सशक्तिकरण: समावेशी भारत की ओर एक प्रगतिशील यात्रा 🌸

UPSC/PCS मुख्य परीक्षा के लिए अंग्रेजी अखबारों के संपादकीय (Editorials) का हिंदी में विश्लेषण। समसामयिक मुद्दों का आसान, तथ्यपूर्ण और परीक्षा-उपयोगी सारांश। एथिक्स (GS 4)पेपर के सभी टॉपिक को रोचक तरीके से कवर करता ब्लॉग हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए प्रतिदिन संपादकीय विश्लेषण" "GS पेपर I-IV के अनुसार समसामयिक विश्लेषण" "The Hindu, Indian Express आदि अखबारों के Editorials का हिंदी सारांश"
📅 प्रकाशन तिथि: 24 जून 2025
✍️ लेखक: आशीष सिँह
🔗 स्रोत: PCSSkillsMantra.blogspot.com
भावनात्मक समझ का अर्थ है — स्वयं की तथा दूसरों की भावनाओं को समझने, पहचानने और उनका सही ढंग से उत्तर देने की क्षमता। यह एक मानसिक और सामाजिक दक्षता है, जो किसी व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफल बना सकती है।
भावनात्मक समझ वह कला है जिससे आप अपने और सामने वाले के मन के हालात को समझकर, सही प्रतिक्रिया देते हैं।
भावनात्मक समझ का विकास निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से किया जा सकता है:
प्रशासनिक सेवा में भावनात्मक समझ एक अनिवार्य गुण बन चुका है। यह अधिकारियों को जनहित में बेहतर निर्णय, संवाद और नेतृत्व की शक्ति देता है।
क्रम | अवयव | विवरण |
---|---|---|
1️⃣ | आत्म-ज्ञान | अपनी भावनाओं और उनके प्रभाव को जानना |
2️⃣ | आत्म-नियंत्रण | आवेगों को नियंत्रित कर शांतिपूर्वक प्रतिक्रिया देना |
3️⃣ | प्रेरणा | आत्म-प्रेरणा से लक्ष्य की ओर बढ़ना |
4️⃣ | सहानुभूति | दूसरों की भावनाओं को महसूस करना |
5️⃣ | सामाजिक कौशल | संवाद, नेतृत्व व संबंध निर्माण की क्षमता |
भावनात्मक समझ आज की प्रशासनिक, सामाजिक और व्यक्तिगत सफलता की आधारशिला है। यह केवल एक सॉफ्ट स्किल नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक बुद्धिमत्ता है, जिससे कोई व्यक्ति खुद को और अपने आस-पास की दुनिया को बेहतर ढंग से समझकर, सकारात्मक दिशा में कार्य कर सकता है।
📢 ब्लॉग पसंद आया हो तो शेयर करें और सब्सक्राइब करें!
Comments
Post a Comment