🌸 टेक्नोलॉजी के माध्यम से महिला और बाल सशक्तिकरण: समावेशी भारत की ओर एक प्रगतिशील यात्रा 🌸

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टेक्नोलॉजी के माध्यम से महिला और बाल सशक्तिकरण 🌐 टेक्नोलॉजी के माध्यम से महिला और बाल सशक्तिकरण सशक्तिकरण का सबसे पहला और अहम पहलू है एक्सेस (Access) । जब किसी महिला या बच्चे को सेवाओं, अधिकारों और अवसरों तक सहज और पारदर्शी पहुंच मिलती है, तभी वे सही मायनों में सशक्त बनते हैं। 🚀 पिछले दशक में तकनीक की भूमिका पिछले एक दशक में हमने देखा है कि कैसे टेक्नोलॉजी ने "डेमोक्रेटिक एक्सेस" को संभव बनाया है। डिजिटल इंडिया और समावेशी विकास के विज़न ने महिलाओं और बच्चों तक सरकारी सेवाओं की लास्ट माइल डिलीवरी को साकार किया है। 🏫 सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण ट्रैकर सक्षम आंगनबाड़ी पहल के अंतर्गत 2 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडर्न और टेक-सक्षम बनाया गया है। वर्कर्स को स्मार्टफोन, डिजिटल डिवाइसेस और इनोवेटिव टूल्स से लैस किया गया है। पोषण ट्रैकर एक वेब पोर्टल है जो 14 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ा हुआ है। इससे 10.14 करोड़ से अधिक लाभार्थी – गर्भवती महिलाएं, शिशु, किशोरियां – लाभान्वित हो रही हैं। रियल टाइम डेटा, नोटिफिकेशन और सप्लाई की ट्रैकिंग इसको बे...

41 साल बाद भारत की दूसरी उड़ान सुभांशु शुक्ला | अंतरिक्ष मिशन 2025

❤️ भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की याद और नई उड़ान

41 साल पहले जब राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन के साथ अंतरिक्ष की यात्रा की थी, तब देश ने गर्व महसूस किया था। लेकिन इतने वर्षों तक कोई दूसरा भारतीय स्पेस में नहीं गया, जिससे यह सवाल भी उठने लगे कि क्या भारत पीछे रह गया?

🚀 दूसरी अंतरिक्ष उड़ान: सुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक यात्रा

अब सुभांशु शुक्ला, जो भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं, स्पेशल ट्रेनिंग के बाद अंतरिक्ष गए हैं। वह भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं और पहले भारतीय हैं जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचेंगे।

🌌 एक्सम-4 मिशन क्या है?

यह एक प्राइवेट स्पेस मिशन है जिसका संचालन स्पेसX (SpaceX) कंपनी कर रही है। AXIOM Space नामक कंपनी इस मिशन के टिकट बुक करती है, जैसे IRCTC रेलवे टिकट बुक करता है। AXM-4 मिशन में कुल चार यात्री हैं जिनमें से एक सुभांशु शुक्ला हैं।

🧪 स्पेस में आठ एक्सपेरिमेंट

सुभांशु शुक्ला को खास उपकरणों के साथ भेजा गया है। वहां वो 8 एक्सपेरिमेंट करेंगे: तकनीक कैसे काम कर रही है, इमरजेंसी हैंडलिंग कैसी होगी, स्पेस प्रोटोकॉल क्या होते हैं – यह सब वे अनुभव से सीखेंगे।

💰 548 करोड़ की सीट और इसकी उपयोगिता

इसरो ने AXIOM से यह सीट 548 करोड़ रुपये में खरीदी है। द हिंदू जैसे मीडिया संस्थानों ने सवाल उठाए हैं कि इतने महंगे मिशन की पब्लिकली स्पष्ट वजह और फायदे क्या हैं – ताकि ट्रांसपेरेंसी बनी रहे।

🛰 गगनयान मिशन और तैयारी

भारत का पहला ह्यूमन स्पेस मिशन गगनयान 2027 में लॉन्च होगा। उससे पहले इसरो चाहता है कि उसके यात्री रियल टाइम अनुभव लेकर लौटें। यही वजह है कि सुभांशु शुक्ला को स्पेस में भेजा गया।

❄️ कोल्ड वॉर बनाम आज की स्पेस रेस

जब राकेश शर्मा गए थे तब कोल्ड वॉर था – अमेरिका और सोवियत यूनियन में स्पेस की होड़ थी। उस समय प्राइवेट कंपनियां नहीं थीं, सिर्फ सरकारें स्पेस मिशन चलाती थीं।

🏢 SpaceX, नासा और अमेरिका का अनिश्चित रवैया

आज नासा (सरकारी) और SpaceX (ईलॉन मस्क की कंपनी) जैसे सहयोगी भारत को मदद दे रहे हैं, लेकिन अमेरिका की पॉलिसी अनसर्टेन है – खासकर ट्रंप जैसे नेताओं की वजह से।

🔁 Reusable रॉकेट्स और नई टेक्नोलॉजी

आज स्पेस में री-यूजेबल रॉकेट्स आ गए हैं जो लागत को काफी कम करते हैं। टेक्नोलॉजी और AI स्पेस मिशन को ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी बना रही है।

🚀 भारत के स्पेस स्टार्टअप्स और प्राइवेट सेक्टर की भूमिका

अब भारत में भी स्पेस स्टार्टअप उभर रहे हैं, लेकिन उन्हें उतना सरकारी सपोर्ट नहीं मिल रहा जितना मिलना चाहिए। प्राइवेट सेक्टर को अधिक सक्रिय बनाने की ज़रूरत है।

🧪 R&D पर फोकस और इसरो की प्राथमिक भूमिका

राइटर्स मानते हैं कि ISRO को सिर्फ R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) पर ध्यान देना चाहिए, जबकि मैन्युफैक्चरिंग और बड़े स्तर पर काम प्राइवेट सेक्टर को सौंपना चाहिए।

🔍 मिशन के बाद ट्रांसपेरेंसी और सार्वजनिक जानकारी

ISRO को हर मिशन के बाद ये बताना चाहिए कि उसका क्या फायदा हुआ, ताकि पब्लिक को भरोसा रहे कि करोड़ों रुपये का निवेश सही दिशा में हो रहा है।


📅 प्रकाशित तिथि: 27 जून 2025

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