विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई भारत की प्रगति में चॉइस, नियंत्रण और पूंजी की भूमिका

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21वीं सदी विज्ञान और तकनीक की क्रांति का युग है। परंतु इस प्रगति की यात्रा में महिलाओं की भागीदारी अब भी सीमित दिखती है, विशेषकर STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) क्षेत्रों में।...
2023 की UNESCO Global Education Monitoring Report के अनुसार, STEM ग्रेजुएट्स में महिलाओं की भागीदारी केवल 35% है। भारत में यह संख्या 43% है (AISHE 2021-22), लेकिन जॉब तक आते-आते यह घटकर 26% रह जाती है (NASSCOM)।
AI जैसे क्षेत्रों में महिला प्रतिनिधित्व केवल 12-26% है। इससे तकनीक भी जेंडर बायस्ड बन सकती है।
Gender-responsive pedagogy बढ़ रही है, लेकिन enrollment के आगे की यात्रा में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
Southern states में बेहतर स्थिति है जबकि Northern और rural क्षेत्रों में लड़कियाँ STEM में कम भाग ले रही हैं। जाति, वर्ग और संस्कृति का प्रभाव भी महत्वपूर्ण है।
जापान और दक्षिण कोरिया में महिला STEM ग्रेजुएट्स की संख्या 16-20% तक ही सीमित है। चीन में यह 40% के आसपास है।
महिलाओं का STEM में कम प्रतिनिधित्व केवल सामाजिक अन्याय नहीं, बल्कि राष्ट्र की आर्थिक और तकनीकी प्रगति के लिए भी हानिकारक है। हमें enrollment से आगे बढ़कर women participation को स्थायी और संरचित बनाना होगा।
अब समय है – केवल symbolic gesture से आगे बढ़कर, एक structured revolution की ओर कदम बढ़ाने का।
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