विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई भारत की प्रगति में चॉइस, नियंत्रण और पूंजी की भूमिका

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भारत की प्रगति में चॉइस, नियंत्रण और पूंजी की भूमिका ✒️ विश्व जनसंख्या दिवस विशेष लेख 📌 प्रस्तावना आज जब हम विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) मना रहे हैं, तो यह सोचने का समय है कि 8 अरब से अधिक की वैश्विक जनसंख्या के बीच भारत जैसे युवा देश को कैसे सही दिशा दी जाए? इस वर्ष की थीम है: "युवाओं को सशक्त बनाएं ताकि वे अपनी पसंद के परिवार बना सकें – एक न्यायपूर्ण और आशावान विश्व में।" इसका सीधा संबंध है: स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता से महिला सशक्तिकरण से जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) से 1994: जनसंख्या और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 1994 में हुए जनसंख्या और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICPD) में यह तय किया गया था कि: हर व्यक्ति को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े फैसले खुद लेने का अधिकार होना चाहिए कोई सामाजिक दबाव, हिंसा या भेदभाव नहीं होना चाहिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं समय पर मिलनी चाहिए इस सम्मेलन ने बॉडीली ऑटोनोमी और सूचित निर्णय की नींव रखी।...

भारत में महिलाओ की साइंस एंड टेक में भागीदारी :समानता से आगे की बात

🌐 महिलाओं की STEM में भागीदारी: समानता से आगे की बात

🔍 भूमिका

21वीं सदी विज्ञान और तकनीक की क्रांति का युग है। परंतु इस प्रगति की यात्रा में महिलाओं की भागीदारी अब भी सीमित दिखती है, विशेषकर STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) क्षेत्रों में।...

📊 वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य

2023 की UNESCO Global Education Monitoring Report के अनुसार, STEM ग्रेजुएट्स में महिलाओं की भागीदारी केवल 35% है। भारत में यह संख्या 43% है (AISHE 2021-22), लेकिन जॉब तक आते-आते यह घटकर 26% रह जाती है (NASSCOM)।

📉 भागीदारी कम होने के मुख्य कारण

  • Structural barriers: मातृत्व सुविधाओं और फ्लेक्सिबल वर्किंग की कमी
  • Cultural stereotypes: परिवार पहले, करियर बाद की सोच
  • Confidence gap: आत्मविश्वास और समर्थन की कमी
  • Leaky pipeline: मिड-कैरियर ब्रेक

🧠 टेक्नोलॉजिकल बायस का खतरा

AI जैसे क्षेत्रों में महिला प्रतिनिधित्व केवल 12-26% है। इससे तकनीक भी जेंडर बायस्ड बन सकती है।

📚 शैक्षणिक सुधार की सीमाएं

Gender-responsive pedagogy बढ़ रही है, लेकिन enrollment के आगे की यात्रा में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

🇮🇳 भारत में क्षेत्रीय असमानता

Southern states में बेहतर स्थिति है जबकि Northern और rural क्षेत्रों में लड़कियाँ STEM में कम भाग ले रही हैं। जाति, वर्ग और संस्कृति का प्रभाव भी महत्वपूर्ण है।

🌍 वैश्विक तुलना

जापान और दक्षिण कोरिया में महिला STEM ग्रेजुएट्स की संख्या 16-20% तक ही सीमित है। चीन में यह 40% के आसपास है।

🛠️ समाधान: Structural Revolution की आवश्यकता

  • क्रैश फैसिलिटी, फ्लेक्सिबल वर्किंग, मैटरनिटी सपोर्ट जरूरी
  • Targeted mentorship और career guidance
  • Transparent hiring और लीडरशिप में महिला प्रतिनिधित्व
  • Data-driven policy making और evaluation

📌 निष्कर्ष

महिलाओं का STEM में कम प्रतिनिधित्व केवल सामाजिक अन्याय नहीं, बल्कि राष्ट्र की आर्थिक और तकनीकी प्रगति के लिए भी हानिकारक है। हमें enrollment से आगे बढ़कर women participation को स्थायी और संरचित बनाना होगा।

अब समय है – केवल symbolic gesture से आगे बढ़कर, एक structured revolution की ओर कदम बढ़ाने का।

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