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Showing posts from July, 2025

विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई भारत की प्रगति में चॉइस, नियंत्रण और पूंजी की भूमिका

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भारत की प्रगति में चॉइस, नियंत्रण और पूंजी की भूमिका ✒️ विश्व जनसंख्या दिवस विशेष लेख 📌 प्रस्तावना आज जब हम विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) मना रहे हैं, तो यह सोचने का समय है कि 8 अरब से अधिक की वैश्विक जनसंख्या के बीच भारत जैसे युवा देश को कैसे सही दिशा दी जाए? इस वर्ष की थीम है: "युवाओं को सशक्त बनाएं ताकि वे अपनी पसंद के परिवार बना सकें – एक न्यायपूर्ण और आशावान विश्व में।" इसका सीधा संबंध है: स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता से महिला सशक्तिकरण से जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) से 1994: जनसंख्या और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 1994 में हुए जनसंख्या और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICPD) में यह तय किया गया था कि: हर व्यक्ति को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े फैसले खुद लेने का अधिकार होना चाहिए कोई सामाजिक दबाव, हिंसा या भेदभाव नहीं होना चाहिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं समय पर मिलनी चाहिए इस सम्मेलन ने बॉडीली ऑटोनोमी और सूचित निर्णय की नींव रखी।...

विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई भारत की प्रगति में चॉइस, नियंत्रण और पूंजी की भूमिका

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भारत की प्रगति में चॉइस, नियंत्रण और पूंजी की भूमिका ✒️ विश्व जनसंख्या दिवस विशेष लेख 📌 प्रस्तावना आज जब हम विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) मना रहे हैं, तो यह सोचने का समय है कि 8 अरब से अधिक की वैश्विक जनसंख्या के बीच भारत जैसे युवा देश को कैसे सही दिशा दी जाए? इस वर्ष की थीम है: "युवाओं को सशक्त बनाएं ताकि वे अपनी पसंद के परिवार बना सकें – एक न्यायपूर्ण और आशावान विश्व में।" इसका सीधा संबंध है: स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता से महिला सशक्तिकरण से जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) से 1994: जनसंख्या और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 1994 में हुए जनसंख्या और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICPD) में यह तय किया गया था कि: हर व्यक्ति को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े फैसले खुद लेने का अधिकार होना चाहिए कोई सामाजिक दबाव, हिंसा या भेदभाव नहीं होना चाहिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं समय पर मिलनी चाहिए इस सम्मेलन ने बॉडीली ऑटोनोमी और सूचित निर्णय की नींव रखी।...

भारत में महिलाओ की साइंस एंड टेक में भागीदारी :समानता से आगे की बात

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🌐 महिलाओं की STEM में भागीदारी: समानता से आगे की बात 🔍 भूमिका 21वीं सदी विज्ञान और तकनीक की क्रांति का युग है। परंतु इस प्रगति की यात्रा में महिलाओं की भागीदारी अब भी सीमित दिखती है, विशेषकर STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) क्षेत्रों में।... 📊 वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य 2023 की UNESCO Global Education Monitoring Report के अनुसार, STEM ग्रेजुएट्स में महिलाओं की भागीदारी केवल 35% है। भारत में यह संख्या 43% है (AISHE 2021-22), लेकिन जॉब तक आते-आते यह घटकर 26% रह जाती है (NASSCOM)। 📉 भागीदारी कम होने के मुख्य कारण Structural barriers: मातृत्व सुविधाओं और फ्लेक्सिबल वर्किंग की कमी Cultural stereotypes: परिवार पहले, करियर बाद की सोच Confidence gap: आत्मविश्वास और समर्थन की कमी Leaky pipeline: मिड-कैरियर ब्रेक 🧠 टेक्नोलॉजिकल बायस का खतरा AI जैसे क्षेत्रों में महिला प्रतिनिधित्व केवल 12-26% है। इससे तकनीक भी जेंडर बायस्ड बन सकती है। 📚 शैक्षणिक सुधार की सीमाएं Gender-responsive pedagogy बढ़ रही है, लेकिन enrollment के ...

🌸 टेक्नोलॉजी के माध्यम से महिला और बाल सशक्तिकरण: समावेशी भारत की ओर एक प्रगतिशील यात्रा 🌸

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टेक्नोलॉजी के माध्यम से महिला और बाल सशक्तिकरण 🌐 टेक्नोलॉजी के माध्यम से महिला और बाल सशक्तिकरण सशक्तिकरण का सबसे पहला और अहम पहलू है एक्सेस (Access) । जब किसी महिला या बच्चे को सेवाओं, अधिकारों और अवसरों तक सहज और पारदर्शी पहुंच मिलती है, तभी वे सही मायनों में सशक्त बनते हैं। 🚀 पिछले दशक में तकनीक की भूमिका पिछले एक दशक में हमने देखा है कि कैसे टेक्नोलॉजी ने "डेमोक्रेटिक एक्सेस" को संभव बनाया है। डिजिटल इंडिया और समावेशी विकास के विज़न ने महिलाओं और बच्चों तक सरकारी सेवाओं की लास्ट माइल डिलीवरी को साकार किया है। 🏫 सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण ट्रैकर सक्षम आंगनबाड़ी पहल के अंतर्गत 2 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडर्न और टेक-सक्षम बनाया गया है। वर्कर्स को स्मार्टफोन, डिजिटल डिवाइसेस और इनोवेटिव टूल्स से लैस किया गया है। पोषण ट्रैकर एक वेब पोर्टल है जो 14 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ा हुआ है। इससे 10.14 करोड़ से अधिक लाभार्थी – गर्भवती महिलाएं, शिशु, किशोरियां – लाभान्वित हो रही हैं। रियल टाइम डेटा, नोटिफिकेशन और सप्लाई की ट्रैकिंग इसको बे...

नसबंदी :इमरजेंसी का काला अध्याय

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फोर्स्ड स्टेरलाइजेशन: इमरजेंसी का काला अध्याय GS Paper 1 – Population and Society से संबंधित यह मुद्दा UPSC के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इमरजेंसी को 50 साल हो चुके हैं और इस दौरान जो मानवाधिकार उल्लंघन हुए, उनमें सबसे गंभीर था फोर्स स्टेरलाइजेशन (जबरन नसबंदी) । संजय गांधी का फाइव-पॉइंट प्रोग्राम फैमिली प्लानिंग – जनसंख्या नियंत्रण को सर्वोच्च प्राथमिकता। लिटरेसी – "One Teach One" का नारा। दहेज प्रथा विरोध जातिवाद उन्मूलन ट्री प्लांटेशन – पर्यावरण सुरक्षा हेतु। हालांकि, सबसे ज्यादा फोकस फैमिली प्लानिंग यानी फोर्स्ड स्टेरलाइजेशन पर था। माल्थूस का सिद्धांत और सरकार की सोच माल्थूस ने कहा था कि जनसंख्या तेजी से बढ़ती है लेकिन संसाधन नहीं। इससे गरीबी और अपराध बढ़ता है। इसी सोच के आधार पर संजय गांधी ने जबरन नसबंदी करवाई। स्टेरलाइजेशन क्या होता है? यह एक सर्जिकल प्रोसीजर है जिसमें व्यक्ति की रिप्रोडक्टिव क्षमता स्थायी रूप से समाप्त कर दी जाती है। आमतौर पर यह स्वैच्छिक होता है लेकिन इमरजेंसी में इसे जबरदस्ती और राज्य प्रायोजित रूप में ...

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